आदर्श अवधि: 45 मिनट - 1 घंटा
खुलने का समय: Throughout the year
निकटतम हवाई अड्डा: उमरोई एयरपोर्ट शिलांग
निकटतम रेलवे स्टेशन: करीमगंज जंक्शन
मालेगढ़ श्मशान एक ऐतिहासिक स्थान है जहां 1857 के विद्रोह के वीर सैनिकों का अंतिम संस्कार किया गया था। यह अतीत की निरंतर याद दिलाता है कि विद्रोह के दौरान 50 से अधिक सैनिकों ने अपनी जान गंवाई।
पहले यह बांग्लादेश के सिलहट जिले के अंतर्गत था, जो भारत की स्वतंत्रता से पहले पश्चिम बंगाल के करीमगंज जिले के अंतर्गत था। यह स्थान 1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान युद्ध के मैदान के रूप में कार्य करता था।
यह विद्रोह के समय झड़प का एक बिंदु था, और यह भारत-बांग्लादेश सीमा के साथ आता है। हालांकि, बांग्लादेश के सीमा रक्षकों और बीएसएफ ने वास्तविक स्थल को नो मैन्स ज़ोन होने से रोकने के लिए अपनी सीमा की बाड़ को स्थानांतरित कर दिया।
आप उस स्थल पर मौजूद एक संगमरमर और पत्थर की पट्टिका देखेंगे जो युद्ध की कहानी कहती है। राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा इस स्थल के संरक्षण के लिए कई प्रयास और कदम उठाए गए हैं।
इस जगह पर आपको कई तरह के श्मशान घाट दिखाई देंगे जहां सिपाहियों का अंतिम संस्कार किया गया था और यह श्मशान हर तरह से शौर्य और पराक्रम को दर्शाता है।
इसके अलावा मालेगढ़-सिपाही विद्रोह बिंदु-1 और मालेगढ़-सिपाही विद्रोह बिंदु-2 नामक दो अन्य स्थान पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। शहर से बस या कैब लेकर आप आसानी से मालेगढ़ श्मशान घाट पहुंच सकते हैं।