शुरू होता है- गुरुवार, 18 अगस्त (रात)
समाप्त होता है- शुक्रवार, 19 अगस्त (रात)
मनाने वाले धर्म : हिन्दू धर्म,सिख
छुट्टियां: जन्माष्टमी
कृष्ण जन्माष्टमी का मुख्य कार्य भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में मनाया जाता है। जन्माष्टमी को मनाने के लिए, कृष्ण के मंदिरों को सजाया जाता है, जुलूस निकाले जाते हैं और नीले भगवान को समर्पित धार्मिक स्थलों पर सत्संग के साथ भजन और कीर्तन होते हैं। कई स्थानों पर भागवत पुराण के अनुसार कृष्ण के जीवन पर नृत्य-नाटक की मेजबानी की जाती है, मध्यरात्रि के दौरान भक्ति गीतों का प्रदर्शन किया जाता है। हिंदुओं द्वारा जन्माष्टमी को बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन हुए थे। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस वर्ष भगवान कृष्ण की 5248 वीं जयंती मनाई जाएगी।
कृष्ण जन्माष्टमी और गोकुलाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है, इस दिन को भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। किंवदंतियों के अनुसार, देवकी के आठवें पुत्र, भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) महीने के अंधेरे पखवाड़े के 8 वें दिन हुआ था।
हिंदुओं द्वारा जन्माष्टमी को बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस वर्ष भगवान कृष्ण की 5248 वीं जयंती मनाई जाएगी।
भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में मथुरा में कंस नाम का एक राजा था, जिसकी चचेरी बहन देवकी थी। कंस उसे बहुत प्यार करता था।
लेकिन जब देवकी का विवाह हो रहा था, तभी आसमान से एक भविष्यवाणी हुई की देवकी का आठवाँ पुत्र कंस का वध करेगा। यह सुनकर कंस को क्रोध आ गया और उसने अपनी बहन को मारने के लिए तलवार उठा ली। देवकी को बचाने के लिए, उनके पति वासुदेव ने कंस को अपने सभी आठ बच्चों को उसे सौंपने का वचन दिया। वासुदेव द्वारा आश्वासन दिए जाने पर कंस ने दोनों को अपने काल कोठरी में डाल दिया, और एक के बाद एक देवकी के सभी सात संतानो की मृत्यु करदी।
लेकिन होनी को कौन टाल सकता है!!
कारागार में कंस ने कड़े पहरे बैठा दिए। अब आठवां बच्चा होने वाला था। उसी समय नंद की पत्नी यशोदा को भी बच्चा होने वाला था। भगवान विष्णु ने वसुदेव-देवकी के दुखी जीवन को देख आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय रचा। जिस समय वसुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ, जो और कोई नही देवी लक्ष्मी थी।
जिस कोठरी में देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान विष्णु प्रकट हुए। दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े। तब भगवान ने उनसे कहा- 'अब मैं पुनः नवजात शिशु का रूप धारण कर लेता हूं।
तुम मुझे इसी समय अपने मित्र नंद जी के घर वृंदावन में भेज आओ और उनके यहां जो कन्या जन्मी है, उसे लाकर कंस के हवाले कर दो। इस समय वातावरण अनुकूल नहीं है। फिर भी तुम चिंता न करो। जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे, कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएंगे और उफनती अथाह यमुना तुमको पार जाने का मार्ग दे देगी।'
उसी समय वसुदेव नवजात शिशु-रूप श्रीकृष्ण को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े और अथाह यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए। कारागृह के फाटक पूर्ववत बंद हो गए।
अब कंस को सूचना मिली कि वसुदेव-देवकी को बच्चा पैदा हुआ है।
उसने बंदीगृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा- 'अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा? तुझे मारनेवाला तो वृंदावन में जा पहुंचा है। वह जल्द ही तुझे तेरे पापों का दंड देगा।'
यह सुनकर कंस को झटका लगा और उसने कृष्ण को मारने के लिए कई राक्षसों को भेजा। लेकिन वे सभी असफल हो गए।
भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था, जिसके कारण लोग जन्माष्टमी के दिन आधी रात को पूजा करते हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन, लोग संतान, दीर्घायु, और समृद्धि पाने के लिए भगवान कृष्ण की उपवास और पूजा करते हैं। इस दिन बाल गोपाल को झूला झूलाने की परंपरा रही है, कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति भगवान को पालने में झुलाता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 2022 मे यह पवित्र त्योहार 18 अगस्त - 19 अगस्त को सभी स्थानों पर मनाया जाएगा।
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